*"भारत को सोने की चिड़िया" बनाने वाला :- "असली राजा" कौन था ?* रोहतास सिंह चौहान,इतिहासकार *कौन था , वह राजा ? जिसके :- "राजगद्दी पर बैठने के बाद", उनके "श्रीमुख" से "देववाणी" ही, निकलती थी l और "देववाणी" से ही, "न्याय" होता था?* *कौन था ,वह राजा ? "जिसके":- राज्य में "अधर्म का संपूर्ण नाश" हो गया था।* *महाराज विक्रमादित्य...* *बड़े ही दुख की बात है, कि :- "महाराज विक्रमादित्य" के बारे में, देश को लगभग "शून्य बराबर ज्ञान" है।* जिन्होंने :- *"भारत को सोने की चिड़िया बनाया था" और "स्वर्णिम काल" लाया था।* ● *उज्जैन के राजा थे, गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी l सबसे बड़ी लड़की थी l मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य..l बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा "पदमसैन" के साथ कर दी l जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द l आगे चलकर गोपीचन्द ने "श्री ज्वालेन्दर नाथ जी" से "योग दीक्षा" ले ली l और "तपस्या करने जंगलों में चले गए"..l फिर मैनावती ने भी, "श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली"।* ● *आज ये देश और यहाँ की "संस्कृति" केवल, "विक्रमादित्य" के कारण, "अस्तित्व" में है।* *अशोक मौर्य ने "बोद्ध धर्म" अपना लिया था l और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था।* *भारत में तब "सनातन धर्म", लगभग "समाप्ति" पर आ गया था l देश में -"बौद्ध और अन्य" हो गए थे।* ● *"रामायण, और महाभारत" जैसे "ग्रन्थ" खो गए थे l "महाराज विक्रम" ने ही, पुनः उनकी "खोज "करवा कर, "स्थापित" किया।* *"विष्णु और शिव जी" के "मंदिर" बनवाये l और "सनातन धर्म" को "बचाया"l विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक -"कालिदास" ने "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" लिखा। जिसमे "भारत का इतिहास "है l अन्यथा :- भारत का इतिहास क्या मित्रो ? "हम", "भगवान् कृष्ण और राम " को ही, "खो" चुके थे। हमारे -"ग्रन्थ" ही, भारत में "खोने" के कगार पर आ गए थे।* ● *उस समय -"उज्जैन के राजा भृतहरि" ने राज छोड़कर, श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली l और "तपस्या" करने जंगलों में चले गए l राज अपने छोटे भाई - "विक्रमादित्य" को दे दिया. I "वीर विक्रमादित्य" भी ,श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से -"गुरू दीक्षा" लेकर, "राजपाट सम्भालने लगे"l और आज उन्ही के कारण :- "सनातन धर्म बचा हुआ है" l हमारी "संस्कृति" बची हुई है।* ● *"महाराज विक्रमादित्य" ने केवल धर्म ही, नही बचाया ? उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर "सोने की चिड़िया" बनाई l उनके राज को ही ,"भारत का स्वर्णिम राज: कहा जाता है।* ● *"विक्रमादित्य" के काल में भारत का :- कपडा, विदेशी व्यपारी, "सोने के वजन" से खरीदते थे।* "भारत में इतना सोना आ गया था"..., की :- *"विक्रमादित्य काल" में - "सोने की सिक्के" चलते थे। आप "गूगल इमेज" कर ...,"विक्रमादित्य" के "सोने के सिक्के" देख सकते हैं।* ● *"कैलंडर", जो - "विक्रम संवत" लिखा जाता है ? वह भी, "विक्रमादित्य" का स्थापित किया हुआ है।* *आज जो भी, "ज्योतिष गणना" है ? जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर ,आदि, उन्ही की रचना है l वे बहुत ही, पराक्रमी , बलशाली, और बुद्धिमान, राजा थे।* *कई बार तो -"देवता" भी, "उनसे न्याय करवाने आते थे"। *"विक्रमादित्य" के काल में हर "नियम" ,"धर्मशास्त्र" के हिसाब से बने होते थे। न्याय , राज, सब "धर्मशास्त्र" के नियमो पर चलता था।* *"विक्रमादित्य" का काल, "प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है"l जहाँ :- "प्रजा", "धनी" थी l और "धर्म पर चलने वाली थी"।* ◆बड़े दुःख की बात है ,की:- " *भारत के सबसे महानतम राजा" :- "विक्रमादित्य" के बारे में हमारे "स्कूलों /कालेजों" मे कोई "स्थान" नही है।* *देश को अकबर, बाबर, औरंगजेब, जैसै - "दरिन्दो" का "इतिहास" पढाया जा रहा है।* बड़ा विचारणीय विषय है?

 *"भारत को सोने की चिड़िया" बनाने वाला  :- "असली राजा" कौन था ?*

रोहतास सिंह चौहान,इतिहासकार

*कौन था , वह राजा ? जिसके :- "राजगद्दी पर बैठने के बाद", उनके "श्रीमुख" से "देववाणी" ही, निकलती थी l और "देववाणी" से ही, "न्याय" होता था?*

*कौन था ,वह राजा ?  "जिसके":-  राज्य में "अधर्म का संपूर्ण नाश" हो गया था।*


*महाराज विक्रमादित्य...*

*बड़े ही दुख की बात है, कि :- "महाराज विक्रमादित्य" के बारे में, देश को लगभग "शून्य बराबर ज्ञान" है।*

 जिन्होंने :- *"भारत को सोने की चिड़िया बनाया था" और "स्वर्णिम काल" लाया था।*

*उज्जैन के राजा थे, गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी l  सबसे बड़ी लड़की थी l मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य..l  बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा "पदमसैन" के साथ कर दी l जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द l आगे चलकर गोपीचन्द ने "श्री ज्वालेन्दर नाथ जी" से "योग दीक्षा" ले ली l और "तपस्या करने जंगलों में चले गए"..l फिर मैनावती ने भी, "श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली"।*

*आज ये देश और यहाँ की "संस्कृति" केवल, "विक्रमादित्य" के कारण, "अस्तित्व" में है।*


*अशोक मौर्य ने "बोद्ध धर्म" अपना लिया था l और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था।*


*भारत में तब "सनातन धर्म", लगभग "समाप्ति" पर आ गया था l देश में -"बौद्ध और अन्य" हो गए थे।*

*"रामायण, और महाभारत" जैसे "ग्रन्थ" खो गए थे l "महाराज विक्रम" ने ही, पुनः उनकी "खोज "करवा कर, "स्थापित" किया।*

*"विष्णु और शिव जी" के "मंदिर" बनवाये l और "सनातन धर्म" को "बचाया"l  विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक -"कालिदास" ने "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" लिखा। जिसमे "भारत का इतिहास "है l अन्यथा :- भारत का इतिहास क्या  मित्रो  ? "हम", "भगवान् कृष्ण और राम " को ही, "खो" चुके थे। हमारे -"ग्रन्थ" ही, भारत में "खोने" के कगार पर आ गए थे।*

*उस समय -"उज्जैन के राजा भृतहरि" ने राज छोड़कर, श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा  ले ली l और "तपस्या" करने जंगलों में चले गए l राज अपने छोटे भाई - "विक्रमादित्य" को दे दिया. I "वीर विक्रमादित्य" भी ,श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से -"गुरू दीक्षा" लेकर, "राजपाट सम्भालने लगे"l और आज उन्ही के कारण :- "सनातन धर्म बचा हुआ है" l हमारी "संस्कृति" बची हुई है।*

*"महाराज विक्रमादित्य" ने केवल धर्म ही, नही बचाया ? उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर "सोने की चिड़िया" बनाई l उनके राज को ही ,"भारत का स्वर्णिम राज: कहा जाता है।*

*"विक्रमादित्य" के काल में भारत का :- कपडा, विदेशी व्यपारी, "सोने के वजन" से खरीदते थे।*

"भारत में इतना सोना आ गया था"..., की :-  *"विक्रमादित्य काल" में - "सोने की सिक्के" चलते थे। आप "गूगल इमेज" कर ...,"विक्रमादित्य" के "सोने के सिक्के" देख सकते हैं।*

*"कैलंडर", जो - "विक्रम संवत" लिखा जाता है ? वह भी, "विक्रमादित्य" का स्थापित किया हुआ है।*

*आज जो भी, "ज्योतिष गणना" है  ? जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर ,आदि, उन्ही की रचना है l वे बहुत ही, पराक्रमी , बलशाली, और बुद्धिमान, राजा थे।*

*कई बार तो -"देवता" भी, "उनसे न्याय करवाने आते थे"।

*"विक्रमादित्य" के काल में हर "नियम" ,"धर्मशास्त्र" के हिसाब से बने होते थे। न्याय , राज, सब "धर्मशास्त्र" के नियमो पर चलता था।*

*"विक्रमादित्य" का काल, "प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है"l जहाँ :-  "प्रजा", "धनी" थी l और "धर्म पर चलने वाली थी"।*

◆बड़े दुःख की बात है ,की:- " *भारत के सबसे महानतम राजा" :-  "विक्रमादित्य" के बारे में हमारे "स्कूलों /कालेजों" मे कोई "स्थान" नही है।*

*देश को अकबर, बाबर, औरंगजेब, जैसै - "दरिन्दो" का "इतिहास" पढाया जा रहा है।*

बड़ा विचारणीय विषय है?

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इतिहास दोहराया जा रहा है
समाज लक्ष्य शिक्षा और संस्कार हो
*राजपूतों का होता पतन* *राजपूतों की क्षीण होती शक्ति का सबसे बड़ा कारण है कि राजपूत नेता एवं हम सभी लोग सिर्फ़ अपनी बड़ाई { प्रशंसा } सुनना चाहते हैं, दूसरों के ख्याति नाम सुनते ही जल जाते हैं। क्षत्रिय समाज के अधिकतर लोगों का स्वाभिमान धीरे - धीरे अभिमान और अभिमान अहम् या अहंकार में बदल जाता है।* राजपूतों के पतन का असली कारण आपसी लड़ाई और एक दूसरे को आगे न बढ़ानेदेने की प्रवृत्ति है। दूसरा कारण है समाज का एक सर्वमान्य नेता का न होना। *अतः वक्त के साथ क्षत्रिय समाज स्वयं की समीक्षा कर अपने अंदर मौजूद अच्छाई और बुराई में से बुराई का तिरस्कार कर अहम् का त्याग करते हुए हर कोई एक दूसरे का पीठ पीछे सम्मान के साथ नाम ले। मेरा दावा है कि वर्तमान वक्त में इससे पूरे देश में शक्तिशाली क्षत्रिय समाज बनेगा। एकता रूपी शक्ति से हर क्षेत्र में स्थापित होकर क्षत्रिय झंडा लहराएगा।*
*भविष्य से अनजान राजपूत संगठन* रोहतास सिंह चौहान, विचारक देश में राजपूत संगठनों की बाढ़ सी आ गई हैं किसी भी संगठन के पास समाज की उन्नति का कोई मंत्र नही है सारे नेता अपनी स्वार्थ सिद्धि का मंत्र जप कर राजनेतिक रोटी सेक रहे है।आज के समय अक्सर यह चर्चा चल रही है कि हमारे इतिहास को तोडा़-मरोडा़ जा रहा है तथा अन्य जातियां हमारे महापुरुषों को चुरा रही है। तथा राजपूतों का फिल्मों में गलत चित्रण किया जा रहा है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ये सब हो रहा था तब राजपूत क्या कर रहे थे और अब क्या कर रहे हैं। अधिकांश राजपूतों को अपने इतिहास का मूल ज्ञान ही नहीं है तथा मनोनीत एवं लक्ष्य विहीन राजपूत सभाओं के कारण राजपूतों के सैकड़ों संगठन है और वे किसी भी मुद्दे पर एकमत नहीं हैं। समाज के लिए समर्पित लोगों का पूर्णतया अभाव है। जिन पूर्वजों के नाम से हम गौरवान्वित महसूस करते हैं उनकी छतरियां व प्रतिमा दयनीय हालत में है। राम मंदिर का शिलान्यास 5 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया था तथा वर्तमान में राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन ट्रस्ट में एक भी राजपूत सदस्य नहीं हैं। जबकि राजपूतों ने बढ़-चढ़कर सहयोग दिया है। वर्तमान अयोध्या का निर्माण सम्राट विक्रमादित्य द्वारा पांच कोस में करवाया गया था और अब राम मंदिर बनने के कारण अयोध्या विश्व स्तरीय धार्मिक स्थल बनने जा रहा है ऐसी दशा में राजा महाराजाओं एवं राजपूत समाज की धरोहरें, जमीन इत्यादि सरकार व अन्य लोग खुर्द बुर्द करने में लगे हुए हैं। परंतु अभी तक भारत वर्ष के किसी भी राजपूत संगठन ने इस सम्बन्ध में कोई रणनीति तय नहीं की है। अन्य समाज के लोग सौ वर्ष आगे की सोचते हैं और हम तो वर्तमान से भी अनभिज्ञ हैं। भारत वर्ष के राजपूत यदि अब भी सोते रहे तो भविष्य में सभी सम्पतियों से हाथ धोना पड़ेगा। *इसलिए सभी राजपूत संगठनों से अनुरोध है कि आप अयोध्या में राजपूत समाज एवं राजा महाराजाओं की सम्पत्तियों को बचाने में सहयोग प्रदान करावे तथा इनका जिर्णोद्धार करावे ताकि अयोध्या की यात्रा के समय राजपूत इनमें ठहर सकें। उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग की जाती है कि वह --- १. एक मुख्य गेट एवं सड़क का नामकरण सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर किया जाये । २. अयोध्या में सम्राट विक्रमादित्य की अश्वारूढ़ प्रतिमा स्थापित कर स्मारक का निर्माण करवाया जाय। 3 नौजवान भटकाव की रहा पर है उन्हे रास्ता दिखाने के लिए कोचिंग व कौंसलिंग सेंटर खोले जाय । 4 समाज की दिशा ,दशा सुधारने के लिए सत्ता में समाज की भागीदारी का प्रयास हो ।
अयोध्या की कहानी
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